राजस्थान मे काफी तीर्थ-स्थान है जो अपने आप मे अपनी कहानी बयां करते है । इन्ही मे से एक है झुन्झुनूं जिले की चिराणा पंचायत का अरावली की पहाडियों से घिरा तीर्थ स्थल “किरोडी धाम”
ऐतिहासिक विवरण:
अगर हम बात करे किरोडी धाम की तो “पदमपुराण’ मे किरोडी का उल्लेख तीर्थ के रूप मे किया गया है । ककोर्टक नामक नाग ने सघन वृक्षावली व झरनों के मध्य यहां तपस्या की थी । कुलीन वंश के इस तपस्वी नाग को तपश्चर्या के दौरान रिषी द्वारा वरदान प्रदान किया तथा इस तीर्थ को कर्कोटिक तीर्थ नाम भी दिया ।
प्रकृति की अदभुद् देन किरोडी धाम मे पाण्डवो की माता कुन्ति की चरण पादुकायें गर्म जल के कुण्ड पर आज भी स्थित है तथा कुण्डो मे शीतल व गर्म जल का प्रवाह निरन्तर बना रहता है अब एक कुण्ड मे शीतल तथा दूसरे कुण्ड मे गर्म जल विद्यमान है । किरोडी मे एक ही स्थान पर गर्म व ठंडे जल कुण्डो मे विभाजित कर दिया गया ।
अरावली की पहाडियों मे प्रकृती की गोद मे बसा है किरोडी तीर्थ
किरोडी मे प्रसिद्ध मंदिर श्री गिरधारी जी का है ।
किरोडी मे प्रसिद्ध मंदिर श्री गिरधारी जी का है । इसका निर्माण संवत् 1652 से 1684 के बीच हुआ तत्पश्चात वैशाख सुदी तृतिया (अक्षय त्रितिया) सवंत 1684 को मुर्ति स्थापना हुई । मंदिर मे भगवान कृष्ण व राधा की काली व सफेद चित्ताकर्षक मुर्तियां विराजमान है
प्रकृति की अदभुद् देन किरोडी धाम मे पाण्डवो की माता कुन्ति की चरण पादुकायें गर्म जल के कुण्ड पर आज भी स्थित है तथा कुण्डो मे शीतल व गर्म जल का प्रवाह निरन्तर बना रहता है अब एक कुण्ड मे शीतल तथा दूसरे कुण्ड मे गर्म जल विद्यमान है ।
शेखावाटी का आबू तीर्थ-स्थल एवं प्रकृति की गोद मे स्थित किरोड़ीधाम मे पवनमाई श्री गंगा माता का बहुत ही सुंदर मंदिर विद्यमान है जो दोनों कुंडो और श्री गिरधारीजी महाराज मन्दिर के सामने ही बना है
ककोर्टक नामक नाग ने सघन वृक्षावली व झरनों के मध्य यहां तपस्या की थी, तथा पाण्डवो की माता कुन्ती ने अपने मानसिक विवाद के निवारण के लिये किरोडी तीर्थ मे तपस्या प्रारम्भ की थी
महन्त महाराज
महन्त महाराज